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Chhattisgarh: कोरवा आदिवासियों ने विकास कार्य नहीं होने का लगाया आरोप , चुनाव बहिष्कार किया फैसला

छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के दो गांवों के निवासियों ने क्षेत्र में विकास कार्य नहीं होने का आरोप लगाते हुए राज्य में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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Chhattisgarh: कोरवा आदिवासियों ने विकास कार्य नहीं होने का लगाया आरोप , चुनाव बहिष्कार किया फैसला

कोरबा: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के दो गांवों के निवासियों ने क्षेत्र में विकास कार्य नहीं होने का आरोप लगाते हुए राज्य में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार रामपुर विधानसभा क्षेत्र के केराकछार ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले गांव सरडीह और बगधरीडांड के निवासियों ने चुनाव बहिष्कार की घोषणा की है। इन गांव के ज्यादातर निवासी पहाड़ी कोरवा आदिवासी हैं। पहाड़ी कोरवा विशेष पिछड़ी जनजाति समूह (पीवीटीजी) से हैं।

रामपुर निर्वाचन क्षेत्र वर्तमान में भाजपा विधायक ननकी राम कंवर के पास है। इन गांवों के भीतर ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार करने का आह्वान करते हुए पर्चे लगाए हैं, तथा बाहरी इलाकों में चुनाव बहिष्कार के आह्वान वाला एक बैनर लटकाया है।

छत्तीसगढ़ में में दो चरणों में मतदान होगा। रामपुर विधानसभा सीट के लिए दूसरे चरण में 17 नवंबर को मतदान होगा जबकि पहले चरण में सात नवंबर को राज्य के दक्षिण क्षेत्र के जिले कबीरधाम, राजनांदगांव और बस्तर क्षेत्र के सात जिलों में मतदान होगा।

पहाड़ी कोरवा समुदाय से आने वाले सरडीह गांव के निवासी संतोष ने कहा, ''हम लंबे समय से पेयजल सुविधा, बिजली आपूर्ति और मोबाइल टावर तथा अन्य बुनियादी सुविधाओं की मांग कर रहे हैं, लेकिन जन प्रतिनिधियों ने कभी हमारी ओर ध्यान नहीं दिया।''

उन्होंने कहा, ''सरडीह, बगधरीडांड़, खुर्रीभौना और आसपास के गांवों के पहाड़ी कोरवा आज भी जंगल की जमीन में गड्ढा खोदकर निकाला गया पानी पीने को मजबूर हैं।''

उन्होंने कहा कि इन गांवों तक पहुंचने के लिए सड़कें नहीं हैं।

संतोष और गांव की कुछ अन्य महिलाओं ने कहा, ''खोखले वादे अब राजनेताओं के काम नहीं आएंगे। ग्रामीणों ने इस बार मतदान का बहिष्कार करने का फैसला किया है क्योंकि उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं है।''

कोरबा शहर से लगभग 20 किमी दूर वन क्षेत्र में स्थित केराकछार ग्राम पंचायत के गांवों में पहाड़ी कोरवाओं के लगभग 150 परिवार निवास करते हैं। इस गांव के लोग हाथी-मानव संघर्ष के खतरे से भी जूझ रहे हैं।

गांव के बाहर ग्रामीणों द्वारा लगाए गए बैनर में लिखा है, ''सरडीह और बगधरीडांड में मतदान का बहिष्कार किया गया है क्योंकि गांवों को बिजली नहीं मिली है।''

इस बारे में पूछे जाने पर कोरबा जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विश्वदीप ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी मिली है। वह और अन्य अधिकारी ग्रामीणों की समस्या को समझने के लिए गांवों का दौरा करेंगे।

उन्होंने कहा, ''हम ग्रामीणों को अपने बहिष्कार के आह्वान को वापस लेने और चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने के लिए मनाने की कोशिश करेंगे।''

आईएएस अधिकारी विश्वदीप जिले में मतदाता जागरूकता कार्यक्रम के नोडल अधिकारी भी हैं।

भारत निर्वाचन आयोग ने कहा था कि राज्य में पांच विशेष पिछड़े जनजाति समूह (पीवीटीजी)- अबूझमाड़िया, कमार, पहाड़ी कोरवा, बिरहोर और बैगा जनजाति से संबंधित मतदाताओं के नामांकन के लिए एक गहन अभियान चलाया गया था।

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