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संसद के मानसून सत्र में किस पर गरजे सपा सांसद रमाशंकर राजभर, कही ये बडी बात

क्या 'ऑपरेशन सिंदूर' वास्तव में भारत की जीत थी या किसी अंतरराष्ट्रीय दबाव में लिया गया कदम? संसद में उठा सवाल — ट्रंप सच बोल रहे हैं या मोदी सरकार छिपा रही है कुछ बड़ा? विपक्ष ने सरकार से सीधी पारदर्शिता की मांग की है। जवाब अब देश चाहता है!
Post Published By: Poonam Rajput
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संसद के मानसून सत्र में किस पर गरजे सपा सांसद रमाशंकर राजभर, कही ये बडी बात

New Delhi: संसद के मानसून सत्र में सोमवार को लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर तीखी बहस देखने को मिली। जहां एक ओर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सैन्य कार्रवाई को भारत की रणनीतिक और सैन्य सफलता बताया, वहीं विपक्षी सांसदों ने सरकार की नीयत, पारदर्शिता और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हस्तक्षेप पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।

सूत्रों के अनुसार,  समाजवादी पार्टी के सलेमपुर से सांसद रमाशंकर राजभर ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए सेना के साहस की सराहना की, लेकिन साथ ही उन्होंने सरकार पर आतंकियों के खिलाफ नरमी बरतने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि देश ने तीसरे ही दिन सरकार से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नहीं, बल्कि ‘ऑपरेशन तंदूर’ की उम्मीद की थी, ताकि आतंकी घटनाओं का कठोर जवाब दिया जा सके।

राजभर ने डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान पर भी सवाल खड़े किए जिसमें उन्होंने दावा किया था कि भारत में संघर्षविराम उनकी मध्यस्थता के बाद हुआ। सांसद ने केंद्र सरकार से सीधे तौर पर पूछा  “क्या ट्रंप झूठ बोल रहे हैं या सरकार सच्चाई छिपा रही है?” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अगर ट्रंप का दावा सही है तो इसका मतलब है कि भारत ने अमेरिकी हस्तक्षेप स्वीकार किया, जो हमारी संप्रभुता के लिए खतरे की घंटी है।

पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए राजभर ने कहा कि रक्षा मंत्री के मुताबिक अब तक 100 आतंकी मारे गए हैं, लेकिन सवाल यह है कि बैसरन घाटी में हमला करने वाले आतंकी कहां हैं? उन्होंने यह भी पूछा कि आतंकवादी खुलेआम जमीन पर कैसे घूम रहे हैं और सुरक्षा व्यवस्था में इतनी बड़ी चूक कैसे हुई, जिस पर जम्मू-कश्मीर के एलजी ने भी तीन महीने बाद ही स्वीकार किया।

उधर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने अपने राजनीतिक और सैन्य उद्देश्य दोनों को सफलतापूर्वक हासिल किया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कोई भी अंतरराष्ट्रीय दबाव इस अभियान के रोकने का कारण नहीं बना। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की ओर से डीजीएमओ स्तर पर संपर्क कर कार्रवाई रोकने का अनुरोध किया गया था, जिस पर भारत ने रणनीतिक निर्णय लिया।

इस पूरी बहस ने एक बार फिर दिखा दिया कि आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर राजनीतिक सहमति बनाना कितना कठिन हो गया है। विपक्ष जहां सवाल उठाने से पीछे नहीं हट रहा, वहीं सरकार इसे देश की जीत और सेना की बहादुरी के तौर पर पेश कर रही है।

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