नई दिल्ली: भारतीय नौसेना की ताकत में जल्द ही बड़ा इजाफा होने जा रहा है। 18 जून 2025 को भारतीय नौसेना के बेड़े में एक नया शक्तिशाली युद्धपोत आईएनएस अर्णाला शामिल किया जाएगा।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक यह युद्धपोत देश का पहला एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट है, जिसका निर्माण कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (GRSE) द्वारा किया गया है। इसे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के हाथों नौसेना में शामिल किया जाएगा।
अत्याधुनिक तकनीकों प्रणालियों से लैस
आईएनएस अर्णाला को खासतौर पर तटीय क्षेत्रों में पनडुब्बियों की निगरानी और नष्ट करने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है। यह पोत अत्याधुनिक तकनीकों और हथियार प्रणालियों से लैस है, जो इसे दुश्मन की हर चुनौती से निपटने में सक्षम बनाते हैं। इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका शैलो वाटर ऑपरेशन करने की क्षमता है, यानी यह कम गहराई वाले समुद्री इलाकों में भी पूरी दक्षता के साथ ऑपरेशन कर सकता है।
मराठा साम्राज्य की रक्षा में अहम भूमिका
जहाज का नाम महाराष्ट्र के वसई के पास स्थित ऐतिहासिक अर्णाला किले से लिया गया है। यह किला 1737 में मराठा योद्धा चिमाजी आप्पा द्वारा बनवाया गया था। यह किला समुद्री हमलों से मराठा साम्राज्य की रक्षा में अहम भूमिका निभाता था। उसी वीरता और युद्ध कौशल की विरासत को अब आईएनएस अर्णाला समुद्र में निभाने जा रहा है।
पनडुब्बी रोधी क्षमताओं में जबरदस्त वृद्धि
विशेषज्ञों का मानना है कि आईएनएस अर्णाला के शामिल होने से नौसेना की पनडुब्बी रोधी क्षमताओं में जबरदस्त वृद्धि होगी। यह खासकर भारतीय समुद्री सीमाओं के पास गश्त कर रही दुश्मन पनडुब्बियों, विशेषकर चीन और पाकिस्तान की गतिविधियों पर नजर रखने में मददगार साबित होगा।
रणनीतिक दृष्टिकोण से अहम
रक्षा विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि अर्णाला जैसे पोत का बेड़े में शामिल होना न केवल रणनीतिक दृष्टिकोण से अहम है, बल्कि यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान की दिशा में एक बड़ा कदम है क्योंकि इसका निर्माण देश में ही हुआ है।
भारतीय जलसीमा का अडिग प्रहरी
इस ऐतिहासिक मौके पर भारतीय नौसेना न केवल अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगी, बल्कि यह संदेश भी देगी कि देश अब समुद्री सुरक्षा में आत्मनिर्भर और पहले से कहीं अधिक सक्षम है। आईएनएस अर्णाला आने वाले वर्षों में भारतीय जलसीमा का अडिग प्रहरी बनकर उभरेगा।