New Delhi: हिंदू धर्म में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव यानी जन्माष्टमी अत्यंत श्रद्धा और उल्लास से मनाया जाता है। इस वर्ष यह पावन पर्व 16 अगस्त 2025 (शनिवार) को मनाया जाएगा। इस दिन मंदिरों और घरों में श्रीकृष्ण जन्म की झांकियां सजाई जाती हैं, रात्रि 12 बजे विशेष पूजा होती है और भक्त उपवास रखकर भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
हालांकि धार्मिक दृष्टि से यह व्रत पुण्यदायी और कल्याणकारी माना गया है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में व्रत रखने से छूट भी दी गई है। धर्मशास्त्रों और आयुर्वेद की मान्यता के अनुसार यदि व्रत किसी की शारीरिक या मानसिक स्थिति पर विपरीत प्रभाव डालता है, तो उसे व्रत करने के लिए बाध्य नहीं किया जाता।
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को छूट
यदि कोई महिला गर्भवती है या अपने नवजात शिशु को दूध पिला रही है, तो उसे जन्माष्टमी व्रत से छूट मिलती है। लंबे समय तक उपवास करना इस स्थिति में मां और बच्चे दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसी महिलाएं केवल पूजा-पाठ करके भी भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त कर सकती हैं।
बीमार और वृद्धजन व्रत से कर सकते हैं परहेज
जो लोग मधुमेह, ब्लड प्रेशर, हृदय रोग, लिवर या किडनी संबंधित बीमारी से ग्रसित हैं, वे भी यह व्रत न रखें। उपवास से दवाओं की नियमितता और शरीर में आवश्यक ऊर्जा की कमी हो सकती है। वृद्धजन, जिनकी उम्र अधिक है और शारीरिक क्षमता कम है, वे भी बिना व्रत के पूजा कर सकते हैं।
मासिक धर्म और पातक काल में व्रत वर्जित
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिन महिलाओं को उस समय मासिक धर्म (पीरियड) हो रहा हो, उन्हें व्रत नहीं रखना चाहिए। इसी तरह यदि किसी के घर में हाल ही में किसी की मृत्यु हुई हो और परिवार अशुद्धि काल (पातक) में हो, तो उस दौरान पूजा-पाठ और व्रत करना वर्जित माना गया है।
छोटे बच्चों को न रखें व्रत
धार्मिक रूप से यह भी स्पष्ट किया गया है कि छोटे बच्चों को भी व्रत नहीं करवाना चाहिए। उनका शरीर विकास की अवस्था में होता है और लंबे समय तक भूखा रहना उनके लिए नुकसानदेह हो सकता है।
पूजा से नहीं है रोक
हालांकि इन विशेष परिस्थितियों में व्रत से छूट दी गई है, लेकिन पूजन से नहीं। सभी श्रद्धालु चाहे वे उपवास कर सकें या नहीं, भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में भक्ति भाव से पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और दर्शन अवश्य कर सकते हैं।