New Delhi: हरतालिका तीज हिन्दू धर्म में विवाहित और अविवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह पर्व भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन के लिए, जबकि अविवाहित कन्याएं योग्य वर की प्राप्ति के लिए उपवास करती हैं।
2025 में कब है हरतालिका तीज ?
हरतालिका तीज को लेकर महिलाओं के बीच यह सवाल बना रहता है कि इस साल तीज 25 अगस्त को मनाई जाएगी या 26 अगस्त को? पंचांग के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 25 अगस्त 2025 को दोपहर 3:22 बजे शुरू होगी और 26 अगस्त को दोपहर 1:31 बजे समाप्त होगी।
ऐसे में धर्मशास्त्रों और परंपराओं के अनुसार, जब तृतीया तिथि सूर्योदय के समय विद्यमान होती है, तो उसी दिन व्रत किया जाता है। 26 अगस्त को सूर्योदय के समय तृतीया तिथि मान्य होगी, इसलिए इस वर्ष हरतालिका तीज मंगलवार, 26 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी।
हरतालिका तीज पर क्यों होता है रात्रि जागरण?
हरतालिका तीज पर रात्रि जागरण की परंपरा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप और उपवास किया था। उन्होंने दिनभर व्रत और रातभर जागरण करते हुए भगवान शिव का ध्यान किया।
इस व्रत में महिलाएं पूरी रात भक्ति भाव से जागकर शिव-पार्वती की कथा सुनती हैं, भजन-कीर्तन करती हैं और धार्मिक आयोजनों में भाग लेती हैं। यह रात्रि जागरण व्रत को पूर्ण फल देने वाला माना जाता है। यह भी विश्वास है कि जो स्त्री इस रात श्रद्धा से जागरण करती है, उसे अखंड सौभाग्य और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
हरतालिका तीज पर का महत्व
हरतालिका तीज पर महिलाएं निर्जल उपवास करती हैं। इस दिन व्रती महिलाएं सुबह स्नान कर नए वस्त्र धारण करती हैं, शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित कर विधिपूर्वक पूजन करती हैं। पूजा में बिल्वपत्र, अक्षत, फूल, फल, सुहाग की सामग्री और पंचामृत से अभिषेक किया जाता है।
शाम को तीज की कथा सुनी जाती है, जिसमें शिव-पार्वती विवाह की पौराणिक गाथा होती है। कथा के बाद महिलाएं रात्रि जागरण करती हैं और अगले दिन व्रत का पारण करती हैं।
सूचना- यह लेख हरतालिका तीज से संबंधित धार्मिक, सांस्कृतिक और पंचांगीय मान्यताओं पर आधारित सामान्य जानकारी प्रदान करता है। इसमें दी गई जानकारी विभिन्न पुराणों, धार्मिक परंपराओं और ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर संकलित की गई है। व्रत, पूजा विधि, तिथि और समय आदि से संबंधित जानकारी के लिए पंडित या ज्योतिषाचार्य की सलाह अवश्य लें।