नई दिल्ली: इजरायल और ईरान के बीच तनाव चरम पर है। हाल ही में इजरायल ने तेहरान और उसके आसपास के इलाकों में मिसाइल हमले किए, जिसके जवाब में ईरान ने भी तेल अवीव और यरूशलम को निशाना बनाया। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अगर दोनों देशों के बीच खुला युद्ध हुआ तो कौन किस पर भारी पड़ेगा?
ईरान-इजरायल युद्ध में कौन मारेगा बाज़ी?
आंकड़ों के लिहाज से देखें तो ईरान, इजरायल से कई मामलों में आगे है। ईरान का क्षेत्रफल करीब 16 लाख वर्ग किलोमीटर है, जबकि इजरायल का कुल क्षेत्रफल केवल 22 हजार वर्ग किलोमीटर है। आबादी में भी ईरान लगभग 8.8 करोड़ लोगों का देश है, जबकि इजरायल की जनसंख्या केवल 90 लाख है।
सेना की बात करें तो ईरान के पास बड़ी ताकत है। इसके पास नियमित सेना में 6 लाख जवान और रिवोल्यूशनरी गार्ड्स में 2 लाख सैनिक हैं। साथ ही, ईरान के पास प्रॉक्सी वॉर लड़ने का लंबा अनुभव भी है। लेकिन समस्या यह है कि ईरानी सेना के पास आधुनिक हथियारों की कमी है। अधिकांश सैन्य उपकरण पुराने हैं और 1979 की इस्लामिक क्रांति के समय के अमेरिकी या रूसी हथियारों पर निर्भर हैं।
ईरान से इजरायल सेना में कमजोर, फिर भी भारी
इसके उलट इजरायल एक छोटा लेकिन बेहद आधुनिक सैन्य बल है। इजरायल की जल, थल और वायु सेना मिडिल ईस्ट की सबसे एडवांस मानी जाती हैं। इसके पास लगभग 1.7 लाख सक्रिय सैनिक और 4 लाख रिजर्व फोर्स है। इजरायल की एयर डिफेंस प्रणाली, खासकर ‘आयरन डोम’, दुश्मन की मिसाइलों को हवा में ही नष्ट करने में सक्षम है, जैसा हाल ही में ईरानी हमले के दौरान देखा गया।
एक और बड़ी बात जो इजरायल को ताकतवर बनाती है, वो है अमेरिका का समर्थन। अमेरिका ने न सिर्फ अपने हजारों सैनिक और लड़ाकू विमान अरब सागर में तैनात किए हैं, बल्कि वह बार-बार इजरायल की सैन्य कार्रवाई का समर्थन भी करता रहा है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि ईरान को परमाणु समझौता करना ही होगा, नहीं तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
इजरायली हमले में ईरान को बड़ा झटका
हाल के इजरायली हमले में ईरान को बड़ा झटका लगा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख जनरल होसैन सलामी और ईरानी सेना प्रमुख जनरल मोहम्मद बाघेरी की मौत हो चुकी है। इसके अलावा, कई परमाणु ठिकानों और मिसाइल निर्माण केंद्रों को भी भारी नुकसान पहुंचा है।
ईरान ने हाल के वर्षों में परमाणु कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ाया है, लेकिन इजरायल इसे एक बड़ा खतरा मानता है। ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ के तहत इजरायल ने कसम खाई है कि वह ईरान को परमाणु संपन्न देश नहीं बनने देगा।
हालांकि, ईरान और इजरायल की भौगोलिक दूरी के कारण सीधी जमीनी लड़ाई की संभावना कम है, लेकिन मिसाइल, ड्रोन और साइबर अटैक जैसे आधुनिक युद्धों में टकराव बढ़ सकता है। यदि ईरान ने इजरायल पर बड़ा हमला किया तो अमेरिका भी युद्ध में कूद सकता है, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं। भले ही संख्या में ईरान आगे हो, लेकिन टेक्नोलॉजी, रणनीति और अमेरिकी सहयोग के दम पर इजरायल युद्ध में भारी पड़ सकता है।