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ट्रंप प्रशासन का बड़ा फैसला: भारत समेत 96 देशों को टैरिफ से मिली अस्थायी राहत, जानें कब से लागू होंगे नए शुल्क

डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने भारत सहित 96 देशों पर नया टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, लेकिन अब इसे एक हफ्ते के लिए टाल दिया गया है। भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील की पेचीदगियों के चलते यह फैसला लिया गया है।
Post Published By: Sapna Srivastava
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ट्रंप प्रशासन का बड़ा फैसला: भारत समेत 96 देशों को टैरिफ से मिली अस्थायी राहत, जानें कब से लागू होंगे नए शुल्क

New Delhi: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद अब भारत को थोड़ी राहत मिली है। पहले यह टैरिफ 1 अगस्त से लागू होने वाला था, लेकिन अब इसकी नई तारीख 7 अगस्त 2025 तय की गई है। व्हाइट हाउस ने बुधवार को इस फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि भारत समेत 96 देशों को टैरिफ लागू करने से पहले एक सप्ताह का समय दिया गया है।
ट्रंप प्रशासन का दावा है कि इस टैरिफ से अमेरिका को आर्थिक मजबूती मिलेगी और व्यापार संतुलन (Trade Balance) बेहतर होगा। भारत के साथ-साथ पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देशों पर भी टैरिफ लागू किया गया है, जिनमें पाकिस्तान पर 19%, बांग्लादेश पर 20% और अफगानिस्तान पर 15% टैरिफ का प्रावधान है।

भारत पर क्यों बढ़ रहा है अमेरिका का दबाव?

दरअसल, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता (Trade Deal) लंबे समय से अधर में लटका हुआ है। अमेरिका चाहता है कि भारत अपने कृषि और डेयरी क्षेत्र को खोल दे ताकि अमेरिकी उत्पाद भारत में बेचे जा सकें। लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि वह एग्रीकल्चर और डेयरी सेक्टर में अमेरिका को छूट देने के पक्ष में नहीं है।
भारत की आपत्ति की एक बड़ी वजह अमेरिका की डेयरी प्रणाली है। अमेरिकी पशुओं को चारे के साथ-साथ सुअर और अन्य जानवरों की चर्बी भी खिलाई जाती है, जो भारतीय उपभोक्ताओं की भावनाओं और धार्मिक आस्थाओं के खिलाफ है। यही कारण है कि भारत अमेरिकी नॉन-वेज मिल्क और डेयरी उत्पादों को अनुमति नहीं देना चाहता।

भारत पर दबाव बनाने की रणनीति

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप सरकार भारत पर दबाव बनाना चाहती है ताकि अमेरिका और भारत के बीच लंबित व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया जा सके। अमेरिका के अनुसार, भारत एग्रीकल्चर और डेयरी सेक्टर्स को विदेशी निवेश और उत्पादों के लिए खोलने में देरी कर रहा है, जबकि ट्रंप प्रशासन चाहता है कि इन क्षेत्रों को शीघ्र खोला जाए।

विशेषज्ञों की राय

पूर्व अमेरिकी अधिकारी और दक्षिण-मध्य एशियाई मामलों की सहायक विदेश मंत्री रही निशा बिस्वाल ने कहा कि यह टैरिफ केवल रणनीतिक दबाव का हिस्सा है। उन्होंने माना कि अमेरिका इस कदम के जरिए भारत को ट्रेड डील पर रजामंद कराने का प्रयास कर रहा है।
भारत सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “हम अमेरिका के साथ एक संतुलित और पारदर्शी व्यापार समझौता चाहते हैं, जो भारतीय किसानों, उपभोक्ताओं और छोटे उद्योगों के हित में हो।”

आगे की रणनीति

भारत सरकार फिलहाल अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगाने के मूड में नहीं है, लेकिन उसने संकेत दिए हैं कि व्यापारिक हितों की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। वाणिज्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भारत की ओर से बातचीत जारी है और वह अपने संप्रभु निर्णयों से पीछे नहीं हटेगा।

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