New Delhi: डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और अमेरिका के बीच ऊर्जा व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है। भारत ने अमेरिका से कच्चे तेल के आयात को रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ा दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग के नए आयाम खुलते नजर आ रहे हैं।
कच्चे तेल के आयात में जबरदस्त उछाल
सरकारी सूत्रों के हवाले से आई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्ष 2025 की पहली छमाही में अमेरिका से भारत का कच्चे तेल का आयात दोगुने से भी ज्यादा बढ़ गया है। जहां पिछले साल भारत ने प्रतिदिन 0.18 मिलियन बैरल तेल का आयात किया था, वहीं इस साल यह आंकड़ा 0.271 मिलियन बैरल प्रतिदिन तक पहुंच गया है। अप्रैल से जून 2025 की पहली तिमाही में यह वृद्धि 114 प्रतिशत तक दर्ज की गई है, जो दर्शाता है कि भारत अपनी ऊर्जा आपूर्ति में अमेरिका को एक अहम भागीदार बना रहा है।
एलपीजी और एलएनजी आयात में भी बढ़ोतरी
केवल कच्चा तेल ही नहीं, भारत ने अमेरिका से एलपीजी और एलएनजी के आयात में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी की है। वित्त वर्ष 2024-25 में अमेरिका से एलएनजी का आयात 2.46 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो पिछले साल के 1.41 अरब डॉलर से लगभग दोगुना है। जुलाई में भारत ने जून के मुकाबले 23 प्रतिशत ज्यादा कच्चा तेल अमेरिका से आयात किया, जिससे अमेरिका की भारत के कुल तेल आयात में हिस्सेदारी 3 प्रतिशत से बढ़कर 8 प्रतिशत हो गई है।
रूस से व्यापार जारी रहेगा
हालांकि भारत ने अमेरिका से अपने आयात को बढ़ाया है, लेकिन उसने यह स्पष्ट किया है कि रूस से भी कच्चे तेल की खरीद जारी रहेगी। यह बयान तब सामने आया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि भारत ने रूस से तेल खरीद बंद कर दी है। भारतीय अधिकारियों ने इस दावे को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और किफायती आपूर्ति को ध्यान में रखते हुए विभिन्न देशों से तेल आयात करता रहेगा।
ट्रंप की चेतावनी और भारत की रणनीति
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में रूस को यूक्रेन युद्ध खत्म करने के लिए 10–12 दिनों का समय दिया है और चेतावनी दी है कि यदि ऐसा नहीं हुआ तो रूस से व्यापार करने वाले देशों पर अतिरिक्त प्रतिबंध और 100 प्रतिशत सेकेंडरी टैरिफ लगाया जाएगा। भारत ने अभी तक इस धमकी पर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन संकेत दिए हैं कि वह अपनी ऊर्जा नीति को स्वतंत्र और संतुलित बनाए रखेगा।