भगवान शिव क्यों धारण करते हैं बाघ छाल के वस्त्र?

By: Sapna Srivastava

Img: Freepik

27 July 2025

बाघ शक्ति, क्रूरता और वासना का प्रतीक है।

शिवजी द्वारा बाघ को मारना और उसकी खाल को धारण करना इस बात का प्रतीक है कि उन्होंने अहंकार, मोह, वासना और सभी प्रकार की भौतिक इच्छाओं पर पूर्ण विजय प्राप्त कर ली है।

बाघ एक शक्तिशाली और हिंसक जानवर है। उसकी खाल को धारण करके शिवजी यह दर्शाते हैं कि वे सर्वोच्च शक्ति और नियंत्रण के स्वामी हैं।

शिवजी सृष्टि के सभी प्राणियों और शक्तियों को नियंत्रित कर सकते हैं।

शिवजी का बाघ छाल पहनना उनकी निर्भयता और वैराग्य को दर्शाता है। वे किसी भी भौतिक वस्तु या भय से प्रभावित नहीं होते।

शिवजी का दिगंबर रूप यह दर्शाता है कि वे पंचभूतों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) से परे हैं।

ऋषियों का बाघ उत्पन्न करना उनके अज्ञान और गलत धारणा का प्रतीक था। शिवजी द्वारा बाघ को परास्त करना अज्ञान पर ज्ञान की विजय को दर्शाता है।

भगवान शिव का बाघ छाल धारण करना केवल एक वस्त्र नहीं, बल्कि उनके गहन दर्शन, शक्ति, वैराग्य और संसार पर विजय का एक शक्तिशाली प्रतीक है।

शिवजी के गले में सांप, सिर पर चंद्रमा, और हाथ में त्रिशूल भी उनके विभिन्न गुणों और शक्तियों का प्रतीक हैं।