By Saumya Singh
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रात में चॉकलेट या मीठा खाने की क्रेविंग इच्छाशक्ति की कमी नहीं, बल्कि शरीर और दिमाग के नेचुरल बदलावों का नतीजा है। हार्वर्ड एक्सपर्ट्स के मुताबिक सर्कैडियन रिदम, नींद की कमी और दिमाग का रिवॉर्ड सिस्टम इसकी बड़ी वजह हैं।
सर्कैडियन रिदम का असर: रात होते-होते दिमाग की निर्णय लेने की क्षमता कमजोर होती है और जल्दी खुशी देने वाली चीजों की चाह बढ़ जाती है।
दिमाग का रिवॉर्ड सिस्टम एक्टिव होना: चॉकलेट और मीठी चीजें तुरंत शुगर देती हैं, जिससे दिमाग अच्छा महसूस करता है।
नींद की कमी: कम सोने से भूख बढ़ाने वाला हार्मोन (घ्रेलिन) बढ़ता है और पेट भरे होने का संकेत देने वाला हार्मोन (लेप्टिन) घटता है।
सेल्फ कंट्रोल कमजोर पड़ना: रात में प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स स्लो हो जाता है, जिससे “ना” कहना मुश्किल हो जाता है।
स्क्रीन टाइम का प्रभाव: रात में मोबाइल चलाने से दिमाग एक्टिव रहता है और खाने की क्रेविंग और तेज हो जाती है।