"गुरू गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पांय" हममें से हर किसी ने कभी न कभी यह दोहा जरूर पढ़ा होगा। यह संत कबीर दास के द्वारा लिखा गया एक प्रसिद्ध दोहा है।
इस दोहे से यह संदेश मिलता है कि गुरू के बिना जीवन में सफलता संभव नहीं है। अगर गुरू की बात आए तो डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का नाम सबसे पहले हैं।
हर साल 5 सितंबर को भारत में राष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया जाता है। हालांकि, दुनिया भर में वर्ल्ड टीचर्स डे 5 अक्टूबर को मनाया जाता है।
लेकिन भारत में इसे 5 सितंबर को मनाने की एक खास वजह है। इस दिन का संबंध हमारे पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन से जुड़ा हुआ है।
5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस के रूप में हुई।
उनके योगदानों को सम्मानित करने के लिए भारत सरकार ने 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाने का निर्णय लिया।
1962 में जब राधाकृष्णन भारत के राष्ट्रपति बने, तब उनके कुछ छात्रों ने उनसे मिलने का समय मांगा और उनका जन्मदिन मनाने का अनुरोध किया।
इस पर डॉ. राधाकृष्णन ने उनसे कहा कि उनका जन्मदिन मनाने का सबसे अच्छा तरीका यह होगा कि इस दिन को शिक्षकों को समर्पित किया जाए, जो बच्चों के जीवन को संवारते हैं।