क्या शंख से भगवान शिव को जलअभिषेक करना चाहिए? जानें यहां

हिंदू धर्म में भगवान शिव और अन्य देवी-देवताओं का जल और दूध से अभिषेक किया जाता है, मगर शंख से जल लेकर भगवान शिव का अभिषेक करना अशुभ माना जाता है।

शिवपुराण के मुताबिक, एक समय की बात है शंखचूड़ नामक एक बहुत शक्तिशाली दैत्य दैत्यराम दंभ का पुत्र था। जब दैत्यराज दंभ को बहुत समय तक कोई संतान नहीं हुई तो उसने भगवान विष्णु की घोर तपस्या की।

शंखचूड़ ने ब्रह्मा जी की घोर तपस्या की और वरदान मांगा कि वह देवताओं के लिए अजेय हो जाए।

ब्रह्मा जी ने उसे श्री कृष्ण कवच देकर वरदान पूरा किया और शंखचूड़ को धर्मध्वज की पुत्री तुलसी से विवाह करने का आदेश दिया।

ब्रह्मा जी की अनुमति से तुलसी और शंखचूड़ का विवाह हो गया। ब्रह्मा और विष्णु के वरदान के मद में धुत शंखचूड़ ने तीनों लोकों पर स्वामित्व स्थापित कर लिया।

सभी देवता चिंतित होकर भगवान शिव के पास गए और उनसे प्रार्थना की। शिव उसे वध के लिए गए। लेकिन श्री कृष्ण कवच और तुलसी की पति भक्ति के कारण वे उसे मारने में असफल रहे।

भगवान विष्णु ने ब्राह्मण का वेश धारण कर श्री कृष्ण का कवच दान में ले लिया और शंखचूड़ का रूप धारण कर तुलसी की तपस्या भंग कर दी। तब भगवान शिव ने शंखचूड़ का वध कर दिया।

शंख का निर्माण शंखचूड़ की हड्डियों से हुआ था और शंखचूड़ भगवान विष्णु का भक्त था। इसीलिए देवी लक्ष्मी और विष्णु को शंख का जल प्रिय है और सभी देवताओं की पूजा में शंख से जल चढ़ाया जाता है।

भगवान शिव ने शंखचूड़ नामक राक्षस का वध किया था। इसीलिए शिवलिंग पर शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता। शिवलिंग पर शंख से जल चढ़ाना अशुभ होता है।