By: Poonam Rajput
प्लेन क्रैश की स्थिति में उसका टूटना इस बात पर निर्भर करता है कि हादसा कैसे हुआ।
अगर प्लेन हवा में किसी तकनीकी खराबी के कारण गिरता है, तो उसका बिखरना बेकाबू तरीके से होता है।
हवा से गिरते समय जब प्लेन ज़मीन से टकराता है, तो स्पीड बहुत तेज होती है।
इस टकराव के कारण प्लेन का ढांचा कई हिस्सों में टूट सकता है।
सबसे ज्यादा दबाव विंग्स (पंखों) और पिछले हिस्से पर पड़ता है।
विंग्स अक्सर क्रैश में पहले टूटते हैं क्योंकि वे हल्के होते हैं और बाहर की तरफ होते हैं।
तेज टक्कर से एयरक्राफ्ट का पिछला हिस्सा भी अलग हो सकता है।
कई बार टक्कर के समय इतना अधिक बल लगता है कि पूरा ढांचा बिखर जाता है।
अगर प्लेन लैंडिंग के समय क्रैश करता है, तो सबसे पहले लैंडिंग गियर और नाक का हिस्सा टूटता है।
कुछ मामलों में प्लेन के फ्यूल टैंक से रिसाव होता है जिससे आग लग जाती है।
विंग्स में फ्यूल भरा होता है, इसलिए टूटने पर सबसे ज्यादा खतरा यहीं होता है।
अगर क्रैश पानी में हो, तो प्लेन का शरीर अक्सर दो हिस्सों में बंट जाता है।
ब्लैक बॉक्स प्लेन के पिछले हिस्से में होता है, इसलिए उसे ढूंढने में समय लग सकता है।
इसीलिए प्लेन क्रैश की जांच में ढांचे के टूटने की दिशा से हादसे की वजह पता की जाती है।