क्या कभी सोचा है कि साड़ी की शुरुआत कहां से हुई? जानिए इससे जुड़ी दिलचस्प बातें

By: Sapna Srivastava

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25 July 2025

साड़ी का इतिहास 5000 साल पुराना माना जाता है। इसकी झलक सबसे पहले हड़प्पा सभ्यता की मूर्तियों में देखने को मिलती है, जहां महिलाएं बिना सिले वस्त्र पहनती थीं।

साड़ी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द 'शाटी' से हुई है, जिसका मतलब होता है एक लंबा वस्त्र।

वैदिक काल में महिलाएं साड़ी जैसे वस्त्र पहनती थीं, जिसमें वो शरीर को एक कपड़े से ढकती थीं, बिना किसी सिलाई के।

मौर्य और गुप्त साम्राज्य के समय साड़ी की बनावट और पहनने के तरीके में विविधता आई। उस समय महिलाएं साड़ी को राजसी और सुंदर तरीके से पहनती थीं।

दक्षिण भारत में साड़ी को 'पुडवई', 'सेलाय' आदि नामों से जाना जाता था। यहां की महिलाएं पारंपरिक रूप से 9 गज लंबी साड़ी पहनती थीं।

मुग़ल शासन के दौरान साड़ियों में ज़री, कढ़ाई और बहुमूल्य धागों का उपयोग शुरू हुआ, जिससे साड़ी शाही परिधान बन गई।

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बंगाल की 'खादी साड़ी' महिलाओं के आत्मनिर्भरता और स्वदेशी आंदोलन की प्रतीक बन गई।

भारत के हर राज्य में साड़ी की अलग पहचान है बनारसी (उत्तर प्रदेश), कांजीवरम (तमिलनाडु), पटोला (गुजरात), तांत (बंगाल), चंदर (मध्यप्रदेश) जैसी कई शैलियां।

साड़ी पहनने के देशभर में 80 से ज्यादा तरीके हैं। नवीं से नथ तक अलग-अलग प्रांतों में इसे अलग ढंग से पहना जाता है।

मॉडर्न समय में भी साड़ी भारतीय महिलाओं की पहचान बनी हुई है। त्योहार हो या ऑफिस, शादी हो या कॉर्पोरेट मीटिंग साड़ी हर मौके के लिए परफेक्ट मानी जाती है।