जम्मू-कश्मीर से सामने आई एसएचआरसी जैसे आयोगों को लेकर ये बड़ी खबर, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

डीएन ब्यूरो

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि राज्य के उन कानूनों को रद्द कर दिया गया है, जिनके जरिये राज्य मानवाधिकार समिति जैसे आयोगों का गठन किया जाता था तथा अनुच्छेद-370 को रद्द किये जाने के बाद कुछ नये आयोग केंद्रीय कानूनों के तहत बनाये गये हैं।

फाइल फोटो
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नयी दिल्ली: जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि राज्य के उन कानूनों को रद्द कर दिया गया है, जिनके जरिये राज्य मानवाधिकार समिति जैसे आयोगों का गठन किया जाता था तथा अनुच्छेद-370 को रद्द किये जाने के बाद कुछ नये आयोग केंद्रीय कानूनों के तहत बनाये गये हैं।

केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दाखिल हलफनामा में उक्त जानकारी दी है। पीठ एक जनहित याचिका की सुनवाई कर रही है जिसमें आरोप लगाया गया है कि जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद मानवाधिकार आयोग जैसी कानूनी समितियां सक्रिय नहीं हैं।

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जम्मू-कश्मीर के कानून एवं न्याय विभाग की सचिव अचल सेठी की ओर से दाखिल हलफनामा में कहा गया है, ‘‘अदालत को सूचित किया जाता है कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 के पारित होने के साथ ही तीसरे कॉलम (राज्य के कानून जिसके तहत विभिन्न आयोगों का संचालन होता था) में उल्लेखित दर्जे...को खत्म कर दिया गया। इसकी वजह से जम्मू-कश्मीर सरकार ने कई सरकारी आदेश जारी किये हैं, जिसके तहत उक्त निरस्त कानूनों के अंतर्गत स्थापित आयोगों को भंग करने की मंजूरी दी गई थी।’’

डाइनामाइट न्यूज़ के संवाददाता के अनुसार, मामले में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जम्मू-कश्मीर का पक्ष रखते हुए कहा कि अन्य केंद्र शासित प्रदेशों की तरह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और केंद्रीय सूचना आयोग जम्मू-कश्मीर के मामलों को भी देखेंगे।

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इस पीठ में न्यायमूर्ति पी एस नसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला भी शामिल हैं।










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