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दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने ‘ब्रिक्स’ समूह के सदस्यों की संख्या बढ़ाने पर जानिये क्या कहा

दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान कहा कि उनका देश ‘ब्रिक्स’ समूह के सदस्यों की संख्या बढ़ाने का समर्थन करता है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने ‘ब्रिक्स’ समूह के सदस्यों की संख्या बढ़ाने पर जानिये क्या कहा

जोहानिसबर्ग: दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने रविवार शाम राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान कहा कि उनका देश ‘ब्रिक्स’ समूह के सदस्यों की संख्या बढ़ाने का समर्थन करता है।

ब्रिक्स का सदस्य बनने के लिए 22 देशों के आवेदन का मुद्दा समूह के पांच सदस्य देशों के नेताओं के एजेंडे में है, जो ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के 15वें संस्करण के लिए इस सप्ताह बुधवार को जोहानिसबर्ग में मिलेंगे।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार रामफोसा ने कहा, ‘‘दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स की सदस्यता के विस्तार का समर्थन करता है। ब्रिक्स का मूल्य इसके वर्तमान सदस्यों के हितों से परे है। अपने प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए ब्रिक्स को अन्य देशों के साथ साझेदारी करने की जरूरत है, जो उसकी आकांक्षाओं और दृष्टिकोण को साझा करते हैं।’’

ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।

रामफोसा ने शिखर सम्मेलन में अफ्रीका, कैरेबियाई क्षेत्र, दक्षिण अमेरिका, मध्य पूर्व, पश्चिम एशिया, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों के कई अन्य नेताओं की भागीदारी का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘एक विस्तारित ब्रिक्स अलग-अलग राजनीतिक प्रणालियों वाले देशों के एक विविध समूह का प्रतिनिधित्व करेगा, जो अधिक संतुलित वैश्विक व्यवस्था की समान इच्छा साझा करते हैं।’’

रामफोसा ने कहा कि आगामी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह तब आयोजित किया जा रहा है, जब दुनिया ऐसी मूलभूत चुनौतियों का सामना कर रही है, जो आने वाले वर्षों में अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों की दिशा निर्धारित करेंगे।

रामफोसा ने पुष्टि की कि दक्षिण अफ्रीका एक खुली और नियम-आधारित वैश्विक शासन, व्यापार, वित्तीय एवं निवेश प्रणाली की वकालत करना जारी रखेगा।

दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘यह एक ऐसी प्रणाली होनी चाहिए, जो शक्ति के इस्तेमाल या एकतरफा सोच पर निर्भर न हो, बल्कि दुनिया के लोगों के हितों को बढ़ावा देने पर केंद्रित हो।’’

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