Kaal Bhairav ​​Jayanti 2025: आज मनाई जा रही काल भैरव जयंती, जानें पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

आज मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर काल भैरव जयंती मनाई जा रही है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप भैरव की पूजा से भय, संकट और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है। जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और भैरव जी के स्वरूप।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 12 November 2025, 11:40 AM IST
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New Delhi: आज देशभर में काल भैरव जयंती का पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन भगवान शिव के उग्र और रक्षक स्वरूप “भैरव” के प्रकट होने का माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भैरव जी की पूजा करने से भय, पाप, रोग और संकटों से मुक्ति मिलती है।

भक्त इस दिन भगवान भैरव की विशेष आराधना करते हैं और उनके आशीर्वाद से नकारात्मकता तथा शत्रुओं पर विजय की कामना करते हैं। इस पर्व को भैरव अष्टमी या कालाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।

कालाष्टमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर 2025 (मंगलवार) रात 11:09 बजे से हुई थी और यह तिथि 12 नवंबर 2025 (बुधवार) रात 10:58 बजे समाप्त होगी।

  • विजय मुहूर्त: दोपहर 1:53 बजे से 2:36 बजे तक
  • गोधूलि मुहूर्त: सायं 5:29 बजे से 5:55 बजे तक

इन शुभ मुहूर्तों में भगवान भैरव की पूजा करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।

Kaal Bhairav 2025

काल भैरव जयंती 2025

भगवान भैरव के स्वरूप और महत्व

  1. धार्मिक ग्रंथों में भगवान भैरव के आठ प्रमुख स्वरूप बताए गए हैं असितांग भैरव, रुद्र भैरव, बटुक भैरव और काल भैरव आदि।
  2. बटुक भैरव: भगवान का बाल स्वरूप, जिन्हें आनंद भैरव कहा जाता है। इनकी पूजा से त्वरित फल की प्राप्ति होती है।
  3. काल भैरव: यह भगवान का साहसिक रूप है। इनकी उपासना से शत्रुओं से मुक्ति और न्यायिक मामलों में विजय मिलती है।
  4. असितांग और रुद्र भैरव: ये रूप मुक्ति और साधना मार्ग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
  5. ज्योतिषियों के अनुसार, भैरव उपासना से शनि, राहु और केतु जैसे ग्रहों की बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में स्थिरता आती है।

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काल भैरव पूजा विधि

  • काल भैरव जयंती की पूजा संध्याकाल में की जाती है। भक्त पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनते हैं और भगवान भैरव की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाते हैं।
  • सरसों के तेल का दीपक जलाना शुभ माना जाता है।
  • उड़द या दूध से बनी मिठाइयों का प्रसाद अर्पित किया जाता है।
  • पूजा के बाद “ॐ कालभैरवाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
  • भैरव जी की आराधना में कुत्ते को भोजन खिलाना भी शुभ माना जाता है, क्योंकि वह उनका वाहन है।

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काल भैरव उपासना का महत्व

मान्यता है कि भगवान भैरव की पूजा करने से न केवल भय और संकट दूर होते हैं, बल्कि व्यक्ति की आत्मशक्ति और मानसिक दृढ़ता भी बढ़ती है। यह दिन उन लोगों के लिए विशेष है जो जीवन से नकारात्मक ऊर्जा और भय को समाप्त करना चाहते हैं।

Location : 
  • New Delhi

Published : 
  • 12 November 2025, 11:40 AM IST

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