New Delhi: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर 25% आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने का फैसला आज से लागू हो गया है। इस फैसले के पीछे भारत द्वारा रूस से तेल और सैन्य उपकरण खरीदने को वजह बताया गया है। ट्रंप प्रशासन का यह कदम अमेरिका-भारत के बीच व्यापारिक संबंधों में तनाव को और बढ़ा सकता है।
आज का बड़ा सवाल
अब बड़ा सवाल उठ रहा है कि यदि भारत जवाबी कार्रवाई के तहत अमेरिका को निर्यात बंद कर दे तो किसे ज्यादा नुकसान होगा? आइए समझते हैं इस टैरिफ युद्ध के संभावित असर को।
भारत-अमेरिका: व्यापारिक साझेदारी में मजबूती, लेकिन अब खतरा
भारत और अमेरिका के बीच 2024-25 में लगभग 131.84 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ, जिसमें से भारत ने 87 अरब डॉलर का निर्यात किया। यह आंकड़ा साफ दिखाता है कि अमेरिका भारत का लगातार चौथे साल सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है। भारत अमेरिका को मुख्यतः आईटी सेवाएं, जेनेरिक दवाएं, कपड़े, टेक्सटाइल और जेम्स-ज्वेलरी निर्यात करता है। ऐसे में टैरिफ लागू होने से ये उत्पाद अमेरिका में महंगे हो जाएंगे और भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा घटेगी।
भारत पर असर: अगर भारत अमेरिका से व्यापारिक रिश्ते तोड़ने या सीमित करने की ओर बढ़ता है तो उसे कई मोर्चों पर नुकसान हो सकता है।
- दवा उद्योग: अमेरिका भारतीय जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। सप्लाई ठप होने से भारतीय फार्मा कंपनियों को भारी घाटा होगा।
- आईटी और सेवा क्षेत्र: भारत की टॉप आईटी कंपनियों की कमाई का बड़ा हिस्सा अमेरिकी बाजार से आता है। लाखों नौकरियों पर असर पड़ सकता है।
- विदेशी निवेश: गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज अमेरिकी कंपनियों का भारत में भारी निवेश है। व्यापारिक अस्थिरता निवेश में गिरावट ला सकती है।
- विदेशी मुद्रा भंडार: निर्यात घटने से डॉलर की आमद कम होगी, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ेगा।
- स्टार्टअप इकोसिस्टम: अमेरिका से पूंजी और ग्राहक खोने से हजारों स्टार्टअप्स को अस्तित्व का संकट झेलना पड़ सकता है।
अमेरिका को क्या होगा नुकसान?
अमेरिका को भी भारतीय उत्पादों पर टैरिफ लगाने का नुकसान झेलना पड़ेगा, खासकर उपभोक्ता स्तर पर
- महंगे उत्पाद: सस्ती भारतीय दवाएं, कपड़े और आईटी सेवाएं महंगी हो जाएंगी, जिससे मूल्यवृद्धि और उपभोक्ताओं की परेशानी बढ़ेगी।
- नई सप्लाई चेन की चुनौती: भारतीय उत्पादों के बदले वियतनाम, बांग्लादेश या मेक्सिको जैसे देशों से आयात करना पड़ेगा, जो महंगे साबित हो सकते हैं।
- आईटी और हेल्थकेयर पर असर: अमेरिकी कंपनियों को आईटी सपोर्ट और हेल्थकेयर सेवाओं की लागत बढ़ सकती है।
हालांकि, अमेरिका की वैश्विक बाजार में मजबूत पकड़ और वैकल्पिक स्रोतों तक पहुंच उसे इस टैरिफ युद्ध से कुछ हद तक बचा सकती है।
कौन होगा बड़ा नुकसान उठाने वाला?
हालात का विश्लेषण करें तो यह स्पष्ट है कि अगर भारत अमेरिका से व्यापारिक संबंध सीमित करता है तो दोनों देशों को नुकसान होगा, लेकिन भारत को झटका अधिक गंभीर हो सकता है। कारण यह है कि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। भारत की अर्थव्यवस्था अभी भी निर्यात और विदेशी निवेश पर बहुत हद तक निर्भर है। अमेरिका के विकल्प भारत के लिए सीमित हैं, जबकि अमेरिका के पास कई वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता हैं। इसलिए विशेषज्ञ मानते हैं कि इस टैरिफ युद्ध में लंबी अवधि में भारत को अधिक रणनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
क्या होगी भारत की रणनीति?
अब सबकी नजर भारत सरकार की अगली रणनीति पर है। क्या भारत जवाबी टैरिफ लगाएगा? या राजनयिक स्तर पर समाधान निकालेगा? विदेश मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय ने फिलहाल इस मुद्दे पर कूटनीतिक चर्चा की तैयारी शुरू कर दी है।

